वास्तविक घटना
बिहार सरकार ने पिछले एक पखवाड़े में राज्य भर में दस पुलों के ढहने के बाद 5 जुलाई को जल संसाधन विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग के एक दर्जन से अधिक इंजीनियरों को निलंबित कर दिया।
बिहार में हाल के दिनों में कई पुलों के ढहने की घटनाएं हुई हैं, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को पुराने पुलों का स्थलीय निरीक्षण करने और पुलों के उचित रखरखाव के लिए कदम उठाने को कहा है।
सरकार द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं
राज्य में पुलों के ढहने की घटनाओं को लेकर राज्य सरकार काफी गंभीर है।
पुलों के निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों का भी पता लगाया जाएगा और उनके कामों के लिए उन्हें जवाबदेह बनाया जाएगा।
पिछले एक पखवाड़े में सीवान, सारण, अररिया, पूर्वी चंपारण, किशनगंज और मधुबनी जैसे जिलों में दस से अधिक पुल ढह गए।
आखिरी पुल ढहने की घटना 4 जुलाई को सारण जिले में हुई थी। निलंबित किए गए लोगों में तीन कार्यपालक अभियंता शामिल हैं।
पिछले 17 दिनों में सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में कुल 10 पुल ढह गए।
फ्लाइंग स्क्वॉड द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद यह निर्णय लिया गया, जिसमें बताया गया कि पुलों के ढहने के पीछे मुख्य कारण इंजीनियरों की लापरवाही और अप्रभावी निगरानी थी।
ग्रामीण कार्य विभाग ने अररिया जिले में पुल के निर्माण में शामिल ठेकेदार को काली सूची में डालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
विभाग ने जांच पूरी होने तक ठेकेदार/फर्म को उसके पिछले काम का भुगतान भी रोक दिया है।
संपादकीय टिप्पणी
अकेले जून में अररिया, सीवान, पूर्वी चंपारण, किशनगंज और मधुबनी जिलों में पांच पुल ढहने से राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो गई है। राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को जनता को आश्वासन दिया कि जांच जारी है और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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